Sunday, July 1, 2007

आभार व्यक्त कीजिये

बहुत सारे निमंत्रण आते हैं आजकल..
आप उनके बुलावे का मान नहीं रख पा रहे हैं ...कोई बात नहीं..आभार के दो शब्द तो लिख दीजिये..
आज आपको आपके मित्र/परिचित/परिजन की बेटी के विवाह के लिये मिले निमंत्रण मिलने पर लिखे जाने वाले आभार पत्र का मसौदा पढ़वाता हूं... फ़ोकट का माल है इसलिये पढ़कर इतिश्री मत कर लीजियेगा...लिखियेगा भी सही....

प्रिय/आदरणीय
(भेजने वाले और आपके रिश्ते,उम्र और पद से तय कीजिये संबोधन)

आपकी लाड़्ली बिटिया के मंगल-परिणय का निमंत्रण-पत्र मिला.
आभारी हूं ..आपने प्रेम-पूर्वक स्मरण किया हमारा.
इच्छा तो थी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आपके
आमंत्रण का मान रखते और इस मंगल प्रसंग का साक्षी बनते.
पारिवारिक/व्यवसायिक व्यस्तता और पूर्व-निर्धारित कार्यक्रमों के कारण
ऐसा संभव नहीं हो पाया जिसका दु:ख है मन में.
आशा है यह परिणय पर्व निर्विघ्न एवं आनंदपूर्वक संपन्न हुआ होगा.
प्रभु से प्रार्थना है कि वह बिटिया के आँचल में सुख,समृध्दि और स्वास्थ के
सलमे-सितारे टांक दे और उसके दाम्पत्य को हमेशा खु़शियों से दमकाए.
उसे हमारे शुभाशीष...और आपके पूरे परिवार को इस परिणय-पर्व के
लिये आत्मीय बधाइयाँ..

स्नेह बनाए रखियेगा.

बेटी की शादी

बेटी का रिश्ता पक्का हुआ नहीं कि मन में ब्याह की तैयारियों का ख़ाका खिंचने लगता है.
मेज़बान चाहता है कि बेटी की शादी के वक़्त अपने घर की द्वार-देहरी स्वजनों के आगमन से पावन हो.
जीवन में जिस तरह की हलचल और व्यस्तता का आलम है..उसे देखते हुए मनुहार पत्र यानी पूर्व-सूचना पत्र (Pre-Intimation Letter) का महत्व बढ़ गया है...भावना में भीगा प्रसंग है बेटी की शादी सो पहली ख़तोकिताबत भी वैसी ही होनी चाहिय...मुलाहिज़ा फ़रमाएं...

समय का पहिया भला कब थमता है...
कल ही की तो बात है,गुड़ियों से खेलती ,
नन्ही-सी प्रियंका ख़ुद गुड़िया-सी लगती थी !
अपनों की उँगली पकड़्कर ,
इठलाती हुई ठुमक-ठुमक कर चलती थी .
गुड्डे-गुड्डी का ब्याह रचाने वाली वही गुड़िया
ब्याह कर हमसे विदा लेने जा रही है.

बिटिया की इस पावन परिणय-यात्रा में
स्मृतियों के न जाने कितने द्वार खुलेंगे.
बाबुल का अंगना पीछे छूट जाएगा....
प्रियंका को माँ के आँचल की याद आएगी.
बचपन की बातें और अपनों की याद
नयनों से मोती छलकाएगी.

ब्याह की शुभ-घड़ी में मनुहार की यह
अग्रिम सूचना आप तक सादर प्रेषित है.
आपको सपरिवार आना है,उल्लास में सम्मिलित होना है,
प्रियंका के दूल्हे राजा को बधाना है;
और हाँ बेटी की बिदा बेला में हमारे साथ रहना है.
आप साथ रहे तो बेटी की विदा की वेदना शायद
कुछ कम हो सके.

ज़्यादा क्या लिखें....
मन कह रहा है...बस आप आ ही जाएं

आपकी प्रतीक्षा में

(प्रेषक का नाम..पता...फ़ोन ईमेल आदि)



लिफ़ाफ़े के ऊपर आप ये लिख सकते हैं:

प्रियंका चली पियाजी के द्वार
स्वीकारिये आत्मन,मन की मनुहार

बेटी की शादी

निमंत्रण-पत्र पर जो ज़रूरी वह तो सब देते ही हैं;
बेटी की शादी के निमंत्रण पत्र के पीछे यदि स्थान उपलब्ध हो तो
ये पंक्तियाँ प्रकाशित की जा सकती हैं

"जैसे महासागर में बहते हुए दो काठ
कभी एक-दूसरे से मिल जाते हैं
और मिलकर कुछ काल के बाद
एक-दूसरे से विलग भी हो जाते हैं
उसी प्रकार बेटी मिलती है,
पराई हो जाती है.
इसका बिछुड़ना अवश्यंभावी है.

श्री गणेशायनम:

बिना काँपीराइट के ये ब्लाँग आपका स्वागत करता है.

विवाह पत्रिका ,जन्म-दिन निमंत्रण,गृह-प्रवेश,मनुहार-पत्र,शुभकामना पत्र,
विवाह वर्षगाँठ,परिवार में नवजात का आगमन , दीपावली,
होली सहित भारतीय त्योहारों और परिवारों में उपस्थित होने
वाले शुभ-प्रसंगों के मज़मून हिन्दी प्रेमियों के लिये एक
सौग़ात बने बस यही नेक भावना इस ब्लाँग की शुरूआत
के पीछे है. हिन्दी के सुपर-डुपर मज़मून आपको यहाँ मिल
जाएंगे...

कुछ हम कहें...कुछ आप कहें...बात बन जाएगी.
उम्मीद है आपसे मुलाक़ात होती ही रहेगी.


आपका हमसफ़र
मज़मून