निमंत्रण-पत्र पर जो ज़रूरी वह तो सब देते ही हैं;
बेटी की शादी के निमंत्रण पत्र के पीछे यदि स्थान उपलब्ध हो तो
ये पंक्तियाँ प्रकाशित की जा सकती हैं
"जैसे महासागर में बहते हुए दो काठ
कभी एक-दूसरे से मिल जाते हैं
और मिलकर कुछ काल के बाद
एक-दूसरे से विलग भी हो जाते हैं
उसी प्रकार बेटी मिलती है,
पराई हो जाती है.
इसका बिछुड़ना अवश्यंभावी है.
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