बेटी का रिश्ता पक्का हुआ नहीं कि मन में ब्याह की तैयारियों का ख़ाका खिंचने लगता है.
मेज़बान चाहता है कि बेटी की शादी के वक़्त अपने घर की द्वार-देहरी स्वजनों के आगमन से पावन हो.
जीवन में जिस तरह की हलचल और व्यस्तता का आलम है..उसे देखते हुए मनुहार पत्र यानी पूर्व-सूचना पत्र (Pre-Intimation Letter) का महत्व बढ़ गया है...भावना में भीगा प्रसंग है बेटी की शादी सो पहली ख़तोकिताबत भी वैसी ही होनी चाहिय...मुलाहिज़ा फ़रमाएं...
समय का पहिया भला कब थमता है...
कल ही की तो बात है,गुड़ियों से खेलती ,
नन्ही-सी प्रियंका ख़ुद गुड़िया-सी लगती थी !
अपनों की उँगली पकड़्कर ,
इठलाती हुई ठुमक-ठुमक कर चलती थी .
गुड्डे-गुड्डी का ब्याह रचाने वाली वही गुड़िया
ब्याह कर हमसे विदा लेने जा रही है.
बिटिया की इस पावन परिणय-यात्रा में
स्मृतियों के न जाने कितने द्वार खुलेंगे.
बाबुल का अंगना पीछे छूट जाएगा....
प्रियंका को माँ के आँचल की याद आएगी.
बचपन की बातें और अपनों की याद
नयनों से मोती छलकाएगी.
ब्याह की शुभ-घड़ी में मनुहार की यह
अग्रिम सूचना आप तक सादर प्रेषित है.
आपको सपरिवार आना है,उल्लास में सम्मिलित होना है,
प्रियंका के दूल्हे राजा को बधाना है;
और हाँ बेटी की बिदा बेला में हमारे साथ रहना है.
आप साथ रहे तो बेटी की विदा की वेदना शायद
कुछ कम हो सके.
ज़्यादा क्या लिखें....
मन कह रहा है...बस आप आ ही जाएं
आपकी प्रतीक्षा में
(प्रेषक का नाम..पता...फ़ोन ईमेल आदि)
लिफ़ाफ़े के ऊपर आप ये लिख सकते हैं:
प्रियंका चली पियाजी के द्वार
स्वीकारिये आत्मन,मन की मनुहार
Sunday, July 1, 2007
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